Class 9th Social Science 
अर्थशास्त्र (Economics)
अध्याय 1 पालमपुर गांव की कहानी
Revision Notes Studymates91


 पालमपुर गांव के बारे में:-
  • पालमपुर एक काल्पनिक गांव है  जिसको पाठ का मूल आधार बनाया गया है भारत के गांव में कृषि उत्पादन की मुख्य गतिविधि है।
  • पालमपुर में कृषि ही प्रमुख उत्पादन क्रिया  है। गांव में 450 परिवार रहते हैं। 150 परिवारों के पास खेती के लिए भूमि नहीं है। बाकी 240 परिवारों के पास दो हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले छोटे भूमि के टुकड़े हैं। गांव की कुल जनसंख्या का एक तिहाई भाग दलित या अनुसूचित जातियों का है। गांव की ज्यादातर भूमि के स्वामी उच्च जाति के 80 परिवार हैं।
  • पालमपुर गांव में शिक्षा के लिए 1 हाई स्कूल,2 प्राथमिक विद्यालय,एक स्वास्थ्य केंद्र और एक निजी अस्पताल भी है।
  • गांव के कुल कृषि क्षेत्र के केवल 40% भाग में सिंचाई होती है। अधिक उपज पैदा करने वाले बीज़ (एच•वाई•वी•) की सहायता से पालमपुर में गेहूं की उपज 1300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 3200 किलोग्राम हो गई
  • अन्य उत्पादन की गतिविधियों में जिन्हें गैर कृषि क्रियाएं कहा जाता है जैसे लघु विनिर्माण, परिवहन दुकानदारी आदि शामिल है। 


उत्पादन का संगठन :-


उत्पादन का उद्देश्य ऐसी वस्तुएं और सेवाएं उत्पादित करना है जिनकी हमें आवश्यकता है।


वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए चार चीजें  आवश्यक है।
  • पहली आवश्यकता है भूमि तथा अन्य प्राकृतिक संसाधन जैसे जल, वन आदि।दूसरी आवश्यकता है श्रम अर्थात जो लोग काम करेंगे। कुछ उत्पादन क्रियाओं में जरूरी कार्य को करने के लिए बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे कर्मियों की जरूरत होती है बाकी दूसरी क्रियाओं  के लिए शारीरिक कार्य करने वाले श्रमिकों की जरूरत होती है। प्रतीक श्रमिक उत्पादन के लिए आवश्यक श्रम प्रदान करता हैतीसरी आवश्यकता भौतिक पूंजी अर्थात उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर अपेक्षित कई तरह के आगत।
भौतिक पूंजी के प्रकार :-
स्थाय पूंजी :- औजारों मशीनों और भवनों का उत्पादन में कई वर्षों तक प्रयोग होता है और इन्हें स्थाई पूंजी कहा जाता है।
कार्यशील पूंजी:- उत्पादन के दौरान भुगतान करने तथा जरूरी माल खरीदने के लिए कुछ पैसों की भी आवश्यकता होती है। कच्चा माल तथा नकद पैसों को कार्यशील पूंजी कहते हैं
  • चौथी  आवश्यकता है मानव पूंजी अर्थात् आपको स्वयं उपयोग हेतु या बाजार में बिक्री हेतु उत्पादन करने के लिए भूमि श्रम और भौतिक पूंजी को एक साथ करने योग्य बनाने के लिए ज्ञान और उद्यम की आवश्यकता पड़ेगी |


उत्पादन भूमि,श्रम और पूंजी को संयोजित करके संगठित होता है जिन्हें उत्पादन के कारक कहा जाता है


भूमि से अधिक पैदावार (उपज) करने के तरीके :-
पालमपुर में समस्त भूमि पर खेती की जाती है कोई भूमि बेकार नहीं छोड़ी जाती।


पालमपुर में 1 वर्ष में तीन अलग-अलग फसलें पैदा करते हैं(कृषि ऋतु को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है)


S. No.
ऋतु
अवधि
फसल
1.
वर्षा ऋतु (खरीफ)
जुलाई-अक्टूबर
ज्वार, बाजरा, चावल, कपास,गन्ना तम्बाकू आदि
2.
शरद् ऋतु (रबी)
अक्टूबर-दिसंबर
गेहूं,सरसों, दालें  आदि
3.
ग्रीष्म ऋतु (जायद)
मार्च-जून
तरबूज, खीरा, फलियां, सब्जियां, फूल इत्यादि



पालमपुर में 1 वर्ष में किसान तीन अलग-अलग फसलें इसलिए पैदा कर पाते हैं क्योंकि वहां सिंचाई कि सुविकसित व्यवस्था है।
पालनपुर में बिजली जल्द आ गई थी इसका मुख्य प्रभाव ये पड़ा कि लोगों ने सिंचाई के लिए रहट को छोड़कर बिजली से चलने वाली नलकूपों का अधिक प्रयोग किया।


बहुविध फसल प्रणाली :- 1 वर्ष में किसी भूमि पर एक से ज्यादा फसल पैदा करने को बहुविध फसल प्रणाली कहते हैं।‌ यह भूमि के किसी एक टुकड़े में उपज बढ़ाने की सबसे सामान्य प्रणाली है।


हरित क्रांति :- 1960 के दशक के अंत में हरित क्रांति ने भारतीय किसानों को अधिक उपज वाले बीज (एच वाई वी) के द्वारा गेहूं और चावल की खेती करने के तरीके सिखाए


हरित क्रांति के लाभ:- परंपरागत बीजों की तुलना में एचआईवी बीज़ अधिक उपज वाले बीज़ सिद्ध हुए।


हानि :- अनेक क्षेत्र में हरित क्रांति के कारण उर्वरकों के अधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता कम हो गई।
:- किसानों ने रासायनिक खादों का प्रयोग करना शुरू कर दिया।
:- प्राकृतिक संसाधनों का अधिक मात्रा में उपयोग किया गया ।

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