NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Shemushi    Chapter 2 बुद्धिर्बलवती सदा

NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Shemushi Chapter 2 बुद्धिर्बलवती सदा is provided here according to the latest NCERT (CBSE) guidelines. These solutions helps students to understand each topic easily and at the same time they can prepare well for their CBSE Board exams. Students can easily access the ncert solutions which include important chapter exercise questions at any time. Students can further clear all their doubts and also get better marks in the exam.

Get CBSE class 10 Sanskrit NCERT solutions for Shemushi chapter 2 बुद्धिर्बलवती सदा below. These solutions consist of answers to all the ncert exercise questions in Sanskrit  NCERT book Chapter 2.

NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Shemushi Chapter 2 बुद्धिर्बलवती सदा


अभ्यासः

(1) अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-

(क) बुद्धिमती केन उपेता पितुहं प्रति चलिता?

उत्तरम्- (क) बुद्धिमती पुत्रदयेन उपेता पितुर्गृह प्रति चलिता।


(ख) व्याघ्रः कि विचार्य पलायितः?

(ख) इयं व्याघ्रमारी इति विचार्य व्याघ्रः पलायितः ।

 

(ग) लोके महतो भयात् कः मुच्यते?

(ग) लोके महतः भयात् बुद्धिमान् मुच्यते।


(घ) जम्बुकः किं वदन व्याघ्रस्य उपहासं करोति?

(घ) भवान कुतो भयात् पलायितः इति वदन जम्बुका व्याघ्रस्य उपहासं करोति।

 

(ङ) बुद्धिमती शृगालं किम् उक्तवती?

उत्तरम्- (ङ) बुद्धिमती शृगालम् उक्तवती-रे धूर्त, इतो गच्छ।'

 

(2) स्थूलपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माण कुरुत-

(क) तन्त्र राजसिंहो नाम राजपुत्रः वसति स्म।

(ख) बुद्धिमती चपेटया पुत्री प्रहृतवती।

(ग) व्याघ्रं दृष्ट्वा धूतः शृगालः अवदत् ।

(घ) त्वम् मानुषात् विभेषि।

(ङ) पुरा त्वया मह्यं व्याघ्रत्रयं दत्तम्।

 

उत्तरम्- (क) तत्र क: नाम राजपुत्रः वसति स्म?

(ख) बुद्धिमती कया पुत्रौ प्रहृतवती?

(ग) किं दृष्ट्वा धूर्तः शृगालः अवदत् ?

(घ) त्वम् कस्मात् विभेषि?

(ङ) पुरा त्वया कस्मै व्याघ्रत्रयं दत्तम्?

 

(3) अधोलिखितानि वाक्यानि घटनाक्रमेण योजयत-

(क) व्याघ्रः व्याघ्रमारी इयमिति मत्वा पलायितः।

(ख) प्रत्युत्पन्नमतिः सा शृगालं आक्षिपन्ती उवाच।

(ग) जम्बुककृतोत्साहः व्याघ्रः पुनः काननम् आगच्छत्

(घ) मार्ग सा एक व्याघ्रम् अपश्यत्।

(ङ) व्याघ्रं दृष्ट्वा सा पुत्रौ ताडयन्ती उवाच-अधुना एकमेव व्याघ्र विभज्य भुज्यताम् ।

(च) बुद्धिमती पुत्रद्वयेन उपेता पितुर्गुहं प्रति चलिता।

(छ) 'त्वं व्याघ्रत्रयम् आनेतुं प्रतिज्ञाय एकमेव आनीतवान् ।

(ज) गलबद्धशृगालकः व्याघ्रः पुनः पलायितः।

 

उत्तरम्- (क) बुद्धिमती पुत्रद्वयेन उपेता पितुगृहं प्रति चलिता।

(ख) मार्गे सा एकं व्याघ्रम् अपश्यत्।

(ग) व्याघ्र दृष्ट्वा सा पुत्रौ ताडयन्ती उवाच-'अधुना एकमेव व्याघ्रं विभज्य भुज्यताम् ।

(घ) व्याघ्रः व्याघ्रमारी इयमिति मत्वा पलायितः।

(ङ) जम्बुककृतोत्साहः व्याघ्रः पुनः काननम् आगच्छत् ।

(च) प्रत्युत्पन्नमतिः सा शृगालम् आक्षिपन्ती उवाच।

(छ) 'त्वं व्याघ्रत्रयम् आनेतुं प्रतिज्ञाय एकमेव आनीतवान्।

(ज) गलबद्धशृगालकः व्याघ्रः पुनः पलायितः।

 

(4) सन्चिं/सन्धिविच्छेदं वा कुरुत-

(क) पितुर्गृहम्  =  ……  +  …...

(ख) एकैकः  =  ……  +  …….

(ग) ……..  =  अन्यः + अपि

(घ) ………  =  इति + उक्त्वा

(ङ) ….….  =  यत्र + आस्ते

उत्तरम्-

(क) पितुर्गृहम्  =  पितुः + गृहम्।

(ख) एकैकः  =   एक + एकः।

(ग) अन्योऽपि  =  अन्यः + अपि

(घ) इत्युक्त्वा  =  इति + उक्त्वा

(ङ) यत्रास्त  =  यत्र + आस्ते

 

(5) अधोलिखितानां पदानाम् अर्थः कोष्ठकात् चित्वा लिखत-

(क) ददर्श -  ( दर्शितवान्, दृष्टवान् )

(ख) जगाद - (अकथयत्, अगच्छत्)

(ग) ययौ -  (याचितवान्, गतवान्)

(घ) अत्तुम् - (खादितुम्, आविष्कर्तुम्)

(ङ) मुच्यते - (मुक्तो भवति, मग्नो भवति)

(च) ईक्षते - (पश्यति, इच्छति

उत्तरम्-

   पदानि        अर्थ:

(क) ददर्श -    दृष्टवान्

(ख) जगाद -  अकथयत्

(ग) ययौ  -    गतवान्

(घ) अत्तुम्  -  खादितुम्

(ङ) मुच्यते -  मुक्तो भवति

(च) ईक्षते  -  पश्यति

 

(6) (अ) पाठात् चित्वा पर्यायपदं लिखत-

(क) वनम्    -    ……..

(ख) शृगालः   -    ……..

(ग) शीघ्रम्   -    ……..

(घ) पत्नी   -    ……..

(ङ) गच्छसि   -    …….

उत्तरम्-

(अ) पदानि         पर्यायाः

(क) वनम्            काननम्

(ख) श्रृगालः          जम्बुकः

(ग) शीघ्रम्            तूर्णम्

(घ) पत्नी              भार्या

(ङ) गच्छसि          यासि।

 

(आ) पाठात् चित्वा विपरीतार्थकं पदं लिखत-

(क) प्रथमः     -   ……..

(ख) उक्त्वा   -    ……..

(ग) अधुना   -    ……...

(घ) अवेला   -    ……….

(ङ) बुद्धिहीना -  ……….

उत्तरम्-

 पदानि             विपरीतार्थक शब्द

(क) प्रथमः           द्वितीयः

(ख) उक्त्वा          श्रुत्वा

ग) अधुना             पश्चात्

(घ) अवेला            वेला

(ङ) बुद्धिहीना        बुद्धिमती

 

(7) (अ) प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत-

(क) चलितः

(ख) नष्टः

(ग) आवेदितः

(घ) दृष्ट:

(ङ) गतः

(च) हतः

(छ) पठितः

(ज) लब्धः

उत्तरम-

(अ)  (क) चलितः      चल् क्त

      (ख) नष्टः           नश् क्त

      (ग) आवेदितः      आ विद णिच् क्त

      (घ) दृष्ट:             दृश् क्त

      (ङ) गतः             गम् क्त

      (च) हतः             हन् क्त

      (छ) पठितः         पठ् क्त

      (ज) लब्धः          लभ् क्त।


(आ) उदाहरणमनुसृत्य कर्तरि प्रथमा विभक्तेः क्रियायाञ्च 'क्तवतु' प्रत्ययस्य प्रयोग:

कृत्वा वाच्यपरिवर्तनं कुरुत-

यथा- तया अहं हन्तुम् आरब्धः।     -     सा मां हन्तुम् आरब्धवती।

(क) मया पुस्तकं पठितम्।

(ख) रामेण भोजनं कृतम्।

(ग) सीतया लेखः लिखितः।

(घ) अश्वेन तृणं भुक्तम्।

(ङ) त्वया चित्रं दृष्टम्।

उत्तरम-

(आ) (क) मया पुस्तकं पठितम्।    -   अहं पुस्तकं पठितवान्।

       (ख) रामेण भोजनं कृतम्।    -    रामः भोजनं कृतवान्।

       (ग) सीतया लेखः लिखितः।   -    सीता लेखं लिखितवती।

       (घ) अश्वेन तृणं भुक्तम्।       -     अश्वः तृणं भुक्तवान्।

       (ङ) त्वया चित्रं दृष्टम्।        -      त्वं चिन्नं दारतान।



Post a Comment

Previous Post Next Post